लोलो लागला अंबेचा – Lolo Lagla Ambecha Lyrics In Marathi

लोलो लागला अंबेचा – Lolo Lagla Ambecha Lyrics In Marathi

लोलो लागला अंबेचा,
भेदाभेद कैचा आला कंटाळा विषयाचा,
धंदा मुळ मायेचा ।। ध्रु.।।

प्रपंच खोटा हा, मृगपाणी घोरे फिरतो प्राणी।
कन्या-सुत-दारा-धन माझे मिथ्या वदतो वाणी।
अंती नेतील हे यमदुत। न ये संगे कोणी।
निर्गुण रेणुका कुळदेवी जपतो मी निर्वाणी।। लोलो।।१।।

पंचभूतांचा अधिकार केलासे सत्वर।
नयनी देखिला आकार। अवघा तो ईश्वर।
नाही सुख – दुःख देहाला कैचा अहंकार।
पाहे परमात्मा तो ध्यानी भासे शून्याकार।। लोलो।।२।।

ध्याता मुद्रा ही उन्मनी लागे अनुसंधानी।
निद्रा लागली अभिध्यानी जें का निरंजनी।
लीला वर्णिता स्वरूपाची शिणली शेशवाणी।
देखिला भवानी जननी त्रैलोक्यपावनी।। लोलो।।३।।

गोंधळ घालील मी अंबेचा घोष अनुहाताचा।
दिवट्या उजळूनिया सदोदित पोत चैतन्याचा।
आहं सोहं से उदो उदो बोलली चारी वाचा।।। लोलो।।४।।

पाहता मूळपीठ पर्वत सकळामध्ये श्रेष्ठ जेथ जगदंबा अवधूत।
दोघे भोपे भट।
जेथे मोवाळे विंजाळे प्रणीता पाणी लोट।
तेथे तानाजी देशमुख झाला ब्रम्हनिष्ठ।।५।।

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