विश्वम्भरी स्तुति लिरिक्स Vishwambhari Stuti Lyrics Hindi

Vishwambhari Stuti NAVRATRI AARTI Lyrics विश्वम्भरी स्तुति लिरिक्स Popular Mata Rani Bhajan Lyrics

माता विश्वम्भरी, माँ कर्मा की देवी हैं। वह प्राकृत और सर्वोच्च शक्ति है। माता विश्वम्भरी आदि शक्ति हैं। माता विश्वम्भर इस जगत और ब्रह्माण्ड की निर्माता हैं। माता विश्वम्भरी ने ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति का निर्माण किया। माता विश्वम्भरी ही समस्त जीवों का निर्माण करने वाली शक्ति है। माता कहती हैं की असली शक्ति आपके अंदर है इसलिए बाह्य जगत में किसी को ढूंढने की आवश्यकता नहीं है।
 
विश्वंभरी अखिल विश्व तनी जनेता,
विद्या धरी वदनमा वसजो विधाता,
दुर्बुद्धिने दूर करी सदबुद्धि आपो,
माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।

भूलो पड़ी भवरने भटकू भवानी,
सूझे नहीं लगिर कोई दिशा जवानी,
भासे भयंकर वाली मन ना उतापो,
माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।

आ रंकने उगरावा नथी कोई आरो,
जन्मांड छू जननी हु ग्रही बाल तारो,
ना शु सुनो भगवती शिशु ना विलापो,
माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।

माँ कर्म जन्मा कथनी करता विचारू,
आ स्रुष्टिमा तुज विना नथी कोई मारूँ,
कोने कहू कथन योग तनो बलापो
माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।

हूँ काम क्रोध मद मोह थकी छकेलो,
आदम्बरे अति घनो मदथी बकेलो,
दोषों थकी दूषित ना करी माफ़ पापो,
माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।

ना शाश्त्रना श्रवण नु पयपान किधू,
ना मंत्र के स्तुति कथा नथी काई किधू,
श्रद्धा धरी नथी करा तव नाम जापो,
माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।

रे रे भवानी बहु भूल थई छे मारी,
आ ज़िन्दगी थई मने अतिशे अकारि,
दोषों प्रजाली सगला तवा छाप छापो,
माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।

खाली न कोई स्थल छे विण आप धारो,
ब्रह्माण्डमा अणु अणु महि वास तारों,
शक्तिन माप गणवा अगणीत मापो,
माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।

पापे प्रपंच करवा बधी वाते पुरो,
खोटो खरो भगवती पण हूँ तमारो,
जद्यान्धकार दूर सदबुध्ही आपो,
माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।

शीखे सुने रसिक चंदज एक चित्ते,
तेना थकी विविधः ताप तळेक चिते,
वाधे विशेष वली अंबा तना प्रतापों,
माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।

श्री सदगुरु शरणमा रहीने भजु छू,
रात्री दिने भगवती तुजने भजु छू,
सदभक्त सेवक तना परिताप छापो,
माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।

अंतर विशे अधिक उर्मी तता भवानी,
गाऊँ स्तुति तव बले नमिने मृगानी,
संसारना सकळ रोग समूळ कापो,
माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।

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