सच दस्सां हुण ते चंगा लगे ना खुदा
मिला था जो मुझको दुआ बनके
जा रहा है अब वो हवा बनके
ना जाने होके क्यूँ मज़बूर जा रही
ये जो शहनाईयों की आवाज़ आ रही
मेरी जान मेरी ज़िन्दगी से दूर जा रही
ये जो शहनाईयों की आवाज़ आ रही
मेरी जान मेरी ज़िन्दगी से दूर जा रही
कितनी शिद्दत थी इश्क़ में यार वे
तू जाने और तेरे मोहल्ले वाले
मेरे हाथों से सारे छीन रहे हाथ तेरा
फिर भी है तेरी जुबां पे क्यूँ ताले
आशिक़ की रातों की सुबह बनके
वफ़ा करते करते बेवफा बनके
अंदर से खुद भी हो के चूर जा रही
ये जो शहनाईयों की आवाज़ आ रही
मेरी जान मेरी ज़िन्दगी से दूर जा रही
ये जो शहनाईयों की आवाज़ आ रही
मेरी जान मेरी ज़िन्दगी से दूर जा रही
मुझे खुशबु आ रही है ज़ुदाइयो की
उसके मोहल्ले से आवाज़ आ रही है शहनाइयों की
इस बीमार आशिक़ का कोई तोह इलाज कर दो
कोई जाओ और शहनाइयों की बंद आवाज कर दो
बंद आवाज कर दो