माथे पे चढ़ा बस रंग नहीं
है स्वाभिमान भरपूर
सिंदूर सिंदूर सिंदूर सिंदूर
जीना मरना यही आन बान
है स्वाभिमान भरपूर
सिंदूर सिंदूर सिंदूर सिंदूर
है स्वाभिमान भरपूर
सिंदूर सिंदूर सिंदूर सिंदूर
जीना मरना यही आन बान
है स्वाभिमान भरपूर
सिंदूर सिंदूर सिंदूर सिंदूर
माँ भवानी को होता अर्पित सिंदूर
वीर हनुमान बजरंग समर्पित सिंदूर
सिंदूर माँ बहन बेटी का श्रृंगार है
वीरांगनाओ के तप की ललकार है
क्रोध प्रतिशोद भी है यदि प्यार है
शत्रु का अंत करना ही न्याय है
सिंदूर खौलते लहू का ही पर्याय है
रग रग में लहू उबाला बहे
कण कण में दहकि ज्वाला बहे
खेलेगा आस्था से जो हमारी होगा चकनाचूर
सिंदूर सिंदूर सिंदूर सिंदूर
जीना मरना यही आन बान
है स्वाभिमान भरपूर
सिंदूर सिंदूर सिंदूर सिंदूर
माथे पे चढ़ा बस रंग नहीं
है स्वाभिमान भरपूर
सिंदूर सिंदूर सिंदूर सिंदूर