तू दूर हुआ है जबसे
मन बावरा क्यूँ तरसे
राहें अगर ये जुदा थी
क्यूँ साथ था एक उमर से
मन बावरा क्यूँ तरसे
राहें अगर ये जुदा थी
क्यूँ साथ था एक उमर से
तेरी आदत जो लगी है
उसे कैसे मैं भुलाऊँ
ये कहानी मेरे दर्द की
किसको जाके सुनाऊँ
तू वजह है हर वजह की
बेवजह हुआ मैं अब से
तू वजह है हर वजह की
बेवजह हुआ मैं अब से
तेरी तड़प में वक़्त का क़तरा
लगता है दरिया क्यूँ मुझे
शर्त बता दे या फ़िर सज़ा दे
है क्या रज़ा बयाँ कर मुझे
कैसे जुदा हो जाऊं
देखा तुझे है कुर्बत से
राहें अगर ये जुदा थी
क्यूँ साथ था एक उमर से
तेरी आदत जो लगी है
उसे कैसे मैं भुलाऊँ
ये कहानी मेरे दर्द की
किसको जाके सुनाऊँ
तू वजह है हर वजह की
बेवजह हुआ मैं अब से
तू वजह है हर वजह की
बेवजह हुआ मैं अब से
तेरी आदत जो लगी है
उसे कैसे मैं भुलाऊँ
ये कहानी मेरे दर्द की
किसको जाके सुनाऊँ