सूर्य चालीसा लिरिक्स Surya Chalisa Lyrics Benefits Hindi PDF, Download Surya Chalisa, Surya Chalisa PDF, Benefits in Hindi
पृथ्वी पर जीवन सूर्य से ही संभव है। संपूर्ण ऊर्जा का स्रोत सूर्य ही है। सूर्य की ऊर्जा से ही पृथ्वी पर जीवन है। नव ग्रह में सूर्य ग्रह को बहुत ही मजबूत माना गया है। जिसकी कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होता है, उसे जीवन में किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। जिसकी कुंडली में सूर्य देव मजबूत होते हैं, उन्हें अपने बड़ों से मान-सम्मान, प्यार, आशीर्वाद और सभी प्रकार का सहयोग प्राप्त होता है। जिसकी कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर हो, वह सूर्य की पूजा करके अपने सूर्य ग्रह की स्थिति को सुदृढ़ कर सकता है। ऐसा करने से सभी बिगड़े हुए कार्य बन जाते हैं। सूर्य को तेज, तरक्की और प्रगति का स्रोत माना गया है। जन्म कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए कुछ उपाय बताए गए है, जिसका इस्तेमाल कर आप अपने बिगड़े काम बना सकते हैं।
श्री सूर्य चालीसा लिरिक्स Surya Chalisa Lyrics
दोहा
कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता माला अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग।।
चौपाई
जय सविता जय जयति दिवाकर, सहस्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर।
भानु, पतंग, मरीची, भास्कर, सविता, हंस, सुनूर, विभाकर।
विवस्वान, आदित्य, विकर्तन, मार्तण्ड, हरिरूप, विरोचन।
अंबरमणि, खग, रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते।
सहस्रांशु, प्रद्योतन, कहि कहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि।
अरुण सदृश सारथी मनोहर, हांकत हय साता चढ़ि रथ पर।
मंडल की महिमा अति न्यारी, तेज रूप केरी बलिहारी।
उच्चैश्रवा सदृश हय जोते, देखि पुरन्दर लज्जित होते।
मित्र, मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता,
सूर्य, अर्क, खग, कलिहर, पूषा, रवि,
आदित्य, नाम लै, हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै।
द्वादस नाम प्रेम सो गावैं, मस्तक बारह बार नवावै।
चार पदारथ सो जन पावै, दुख दारिद्र अघ पुंज नसावै।
नमस्कार को चमत्कार यह, विधि हरिहर कौ कृपासार यह।
सेवै भानु तुमहिं मन लाई, अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई।
बारह नाम उच्चारन करते, सहस जनम के पातक टरते।
उपाख्यान जो करते तवजन, रिपु सों जमलहते सोतेहि छन।
छन सुत जुत परिवार बढ़तु है, प्रबलमोह को फंद कटतु है।
अर्क शीश को रक्षा करते, रवि ललाट पर नित्य बिहरते।
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत, कर्ण देश पर दिनकर छाजत।
भानु नासिका वास करहु नित, भास्कर करत सदा मुख कौ हित।
ओठ रहैं पर्जन्य हमारे, रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे।
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा, तिग्मतेजसः कांधे लोभा।
पूषा बाहु मित्र पीठहिं पर, त्वष्टा-वरुण रहम सुउष्णकर।
युगल हाथ पर रक्षा कारन, भानुमान उरसर्मं सुउदरचन।
बसत नाभि आदित्य मनोहर, कटि मंह हंस, रहत मन मुदभर।
जंघा गोपति, सविता बासा, गुप्त दिवाकर करत हुलासा।
विवस्वान पद की रखवारी, बाहर बसते नित तम हारी।
सहस्रांशु, सर्वांग सम्हारै, रक्षा कवच विचित्र विचारे।
डाउनलोड सूर्य चालीसा पीडीऍफ़ Download Surya Chalisa PDF
अस जोजजन अपने न माहीं, भय जग बीज करहुं तेहि नाहीं।
दरिद्र कुष्ट तेहिं कबहुं न व्यापै, जोजन याको मन मंह जापै।
अंधकार जग का जो हरता, नव प्रकाश से आनन्द भरता।
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही, कोटि बार मैं प्रनवौं ताही।
मंद सदृश सुतजग में जाके, धर्मराज सम अद्भुत बांके।
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा, किया करत सुरमुनि नर सेवा।
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों, दूर हटत सो भव के भ्रम सों।
परम धन्य सो नर तनधारी, हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी।
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन, मध वेदांगनाम रवि उदय।
भानु उदय वैसाख गिनावै, ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै।
यम भादों आश्विन हिमरेता, कातिक होत दिवाकर नेता।
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं, पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं।
दोहा
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य।
सुख संपत्ति लहै विविध, होंहि सदा कृतकृत्य।।
सूर्य देव को प्रसन्न करने के उपाय।
सुबह स्नान आदि से निवृत होकर सूर्योदय के समय सूर्य को जल चढ़ाएं।
सूर्य को प्रसन्न करने के लिए तांबे के कलश में जल लें।कलश में लाल चंदन और गुलाब का फूल डालकर सूर्य देव को अर्पण करें।
सूर्य को मजबूत करने के लिए आप दाहिने हाथ में कड़ा भी पहन सकते हैं।
रविवार को सूर्य की पूजा अवश्य करें।
रविवार सूर्य देव का वार होता है, इसलिए सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रविवार को उनकी पूजा करने का विधान है।
नियमित रूप से सूर्य को जल अर्पण करने से सूर्य की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव की चालीसा का पाठ करें।
सूर्य देव का चालीसा।
सूर्य देव चालीसा के पाठ करने के फायदे।
सूर्य देव के चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति तेजस्वी और सफल होता है।
व्यक्ति में जोश और उत्साह का संचार होता है।
आत्मविश्वास की वृद्धि होने से व्यक्ति हर क्षेत्र में दिन दोगुनी और रात चौगुनी वृद्धि करता है।
हर तरफ से सुख समृद्धि का विस्तार होता है।
घर में हर सुख सुविधा की वृद्धि होती है।
संपन्नता और प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी होती है।
सूर्य देव का चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है।
सूर्य देव का चालीसा का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
सूर्य चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति ऊर्जावान रहता है, जिससे हर कार्य में सफलता प्राप्त होती हैं।
सूर्य देव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति तेज और कुशाग्र बुद्धि वाला होता है।
सूर्य देव का वार चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति समाज में सम्मानित पद प्राप्त करता है।
सूर्य देव का चालीसा।
सूर्य देव के चालीसा का पाठ करने के अलावा सूर्य देव के कुछ मंत्रों का जाप कर के भी हम सूर्य देव को प्रसन्न कर सकते हैं। सूर्य देव के मंत्र बहुत ही प्रभावशाली हैं। इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति में ऊर्जा का संचार होता है। जैसे जैसे सूर्योदय के समय सूर्य का तेज बढ़ता है वैसे ही व्यक्ति के जीवन में उसके कार्यों का सफल परिणाम प्राप्त होता है।
आइए जानते हैं सूर्य देव के प्रभावशाली मंत्र Surya Dev Mantra
ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।
ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम।
शत्रु नाशाय ऊँ हृीं हृीं सूर्याय नमाः।
सूर्यदेव का बीज मंत्र. ..
ॐ हराम हरिम ह्रौं सह सूर्याय नमः।
सूर्य देव को जल अर्पण करते समय ध्यान देने योग्य बातें.
सूर्य देव को जल अर्पण करने से सूर्य देव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं।
सूर्य देव को जल ब्रह्म मुहूर्त में अर्पित करें।
ऐसा संभव ना हो तो सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल अर्पित करें।
तांबे के कलश से सूर्य को जल अर्पित करें।
जल में कुमकुम और अक्षत डालें।
जल में लाल चंदन या लाल गुलाब का फूल भी डालें। सूर्य को जल देते समय जल दोनों हथेलियों से होता हुआ नीचे गिरे।
गिरते हुए जल की धारा से सूर्य के दर्शन करें।
गिरते हुए जल से सूर्य की किरणें शरीर पर पड़े तो सूर्य देव का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।
इससे व्यक्ति ऊर्जावान होता है।
सूर्य देव को जल अर्पित करते समय इन मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर होती हैं। जैसे सूर्य देव पृथ्वी को ऊर्जा प्रदान करते हैं, वैसे ही उनको जल चढ़ाने से और उनके मंत्र का जाप करने से सूर्यदव अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें भी ऊर्जा प्रदान करते हैं। जिससे भक्तों के सारे कार्य सफल होते हैं।
सूर्य को जल अर्पित करते समय बोलने वाले प्रभावशाली मंत्र.
1. ओउम् ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।
2. ॐ घृणि: सूर्य आदित्य नम:।
इन मंत्रों का जाप प्रत्येक रविवार को 11, 21 और 108 की संख्या में किया जाता है।
इन सबके अलावा सूर्य देव को प्रसन्न करने का एक और बहुत ही सरल उपाय भी है। सूर्य देव के 12 नामों का जाप करने से भी सूर्यदेव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए बहुत बड़ी पूजा पाठ की आवश्यकता नहीं होती है, बस मन में आस्था हो तो सूर्य देव सिर्फ इन 12 नाम के जाप से ही प्रसन्न हो जाते हैं। सूर्य देव के प्रसन्न होने से धन-धान्य, सुख और संपन्नता में वृद्धि होती है। जीवन सभी प्रकार के ऐश्वर्य से युक्त होता है। सूर्य देव के इन 12 नाम का जाप करने से व्यक्ति अपनी सारी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकता है। इनका जाप करने से सूर्य की स्थिति बलवान होती है और सभी कार्य सफल होते हैं।
सूर्य देव के 12 नाम Surya Dev Mantra
ॐ सूर्याय नम:।
ॐ मित्राय नम:।
ॐ रवये नम:।
ॐ भानवे नम:।
ॐ खगाय नम:।
ॐ पूष्णे नम:।
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:।
ॐ मारीचाय नम:।
ॐ आदित्याय नम:।
ॐ सावित्रे नम:।
ॐ अर्काय नम:।
ॐ भास्कराय नमः।