दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे त्रिपुरारी लिरिक्स Dulha Ban Aaye Tripurari Lyrics, Shiv Bhajan by राजेन्द्र प्रसाद सोनी
दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे त्रिपुरारी,
होके बैल पे सवार पहनें सर्पों के हार,
लागे सुंदर छवि प्यारी रे त्रिपुरारी,
दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे त्रिपुरारी,
होके बैल पे सवार पहने सर्पों के हार।
गंगा को प्रभु जी शीश पे धारे,
कानों में सर्पों के कुण्डल डारे,
सर्पों की माला है कण्ठ में डाला है,
श्री चंद्र धारी रे त्रिपुरारी,
दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे त्रिपुरारी,
होके बैल पे सवार पहने सर्पों के हार।
मरघट की राख़ को अंग रमाए,
कंठ पे काले काले नाग लहराए,
मस्तक विशाला है, त्रिनेत्र वाला है,
त्रिशूल धारी रे त्रिपुरारी,
दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे त्रिपुरारी,
होके बैल पे सवार पहने सर्पों के हार।
भंग धतूरे को खाने वाला,
सब देवों में देव निराला,
सर्प और ततैया है बिच्छू बरैईया है,
बाग्मबर धारी रे त्रिपुरारी,
दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे त्रिपुरारी,
होके बैल पे सवार पहने सर्पों के हार।
ब्रह्मा विष्णु देव बाराती,
भूत प्रेत सब संगी साथी,
रूप विशाला है सब से निराला है,
राजेंद्र छवि प्यारी रे त्रिपुरारी,
दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे त्रिपुरारी,
होके बैल पे सवार पहने सर्पों के हार।