चौपाई साहिब पाठ लिरिक्स मीनिंग Chaupai Sahib Lyrics Meaning

चौपाई साहिब पाठ लिरिक्स मीनिंग Chaupai Sahib Lyrics Meaning

ਕਬ੍ਯੋ ਬਾਚ ਬੇਨਤੀ,
कबयो बाच बिनती,
हिंदी मीनिंग : कवि की विनती।

ਹਮਰੀ ਕਰੋ ਹਾਥ ਦੈ ਰਛਾ,
हमरी करो हाथ दै रक्षा,
Hamari Karo Haath De Raksha,
हिंदी मीनिंग : हे ईश्वर हाथ आगे बढ़ाकर हमारी रक्षा करो।

ਪੂਰਨ ਹੋਇ ਚਿਤ ਕੀ ਇਛਾ
पूरण होइ चित की इच्छा,
Puran Hoi Chitt Ki Iccha
हिंदी मीनिंग : मेरे चित्त, हृदय की सभी इच्छाएं, कामनाएं पूर्ण करो।

तव चरणन मन रहे हमारा,
अपना जान करो प्रतिपारा।
ਤਵ ਚਰਨਨ ਮਨ ਰਹੈ ਹਮਾਰਾ
ਅਪਨਾ ਜਾਨ ਕਰੋ ਪ੍ਰਤਿਪਾਰਾ
Tav Charanan Man Rahe Hamaara,
Apna Jaan Karo Pratipaara.
हिंदी मीनिंग : हे ईश्वर ऐसी कृपा करो की मेरा मन/चित्त आपके चरणों में ही लगा रहे। मुझे अपना जान कर मेरा कल्याण करो। 
 
हमरे दुशट सभै तुम घावहु
आपु हाथ दै मोहि बचावहु ॥
सुखी बसै मोरो परिवारा ॥
सेवक सि्खय सभै करतारा ॥३७८॥
ਹਮਰੇ ਦੁਸਟ ਸਭੈ ਤੁਮ ਘਾਵਹੁ
ਆਪੁ ਹਾਥ ਦੈ ਮੋਹਿ ਬਚਾਵਹੁ
ਸੁਖੀ ਬਸੈ ਮੋਰੋ ਪਰਿਵਾਰਾ
ਸੇਵਕ ਸਿਖ੍ਯ ਸਭੈ ਕਰਤਾਰਾ
हिंदी मीनिंग : हे ईश्वर मेरे समस्त शत्रुओं को नष्ट करो। आप हाथ आगे करके मुझे बचाओ। मेरा परिवार सुखपूर्वक बसता रहे, मेरा परिवार सुखी रहे। मैं हर तरह से सुखी रहूं। मैं मेरे सेवको और शिष्यों सहित आराम से रहूं। 
मोँ रक्षा निजु कर दै करियै,
सभ बैरिन कौ आज संघरियै,
पूरन होइ हमारी आसा,
तोरि भजन की रहै पियासा,
ਮੋ ਰਛਾ ਨਿਜੁ ਕਰ ਦੈ ਕਰਿਯੈ,
ਸਭ ਬੈਰਿਨ ਕੌ ਆਜ ਸੰਘਰਿਯੈ,
ਪੂਰਨ ਹੋਇ ਹਮਾਰੀ ਆਸਾ,
ਤੋਰਿ ਭਜਨ ਕੀ ਰਹੈ ਪਿਯਾਸਾ
हिंदी मीनिंग : अपने हाथ बढ़ाकर मेरी रक्षा कीजिए। मेरे सभी शत्रुओं को आज शांघारिए, उनका अंत कीजिए। मेरी सभी आशाओं को पूर्ण कीजिए। आपके सुमिरण की प्यास मेरे मन में बनी रहे।

तुमहि छाडि कोई अवर न धयाऊं,
जो बर चहों सु तुमते पाऊं,
सेवक सि्खय हमारे तारियहि,
चुन चुन शत्रु हमारे मारियहि,

हिंदी अर्थ : मैं आपको छोड़, आपके अतिरिक्त किसी का ध्यान नहीं करूँ, किसी को स्वामी नहीं मानूं। मुझे जो भी वर/वरदान चाहिए आपसे ही मांगू। मेरे सेवक और शिष्यों को इस भव सागर से तारो, पार करो। चुन चुन कर हमारे शत्रुओं का अंत कीजिए।

आपु हाथ दै मुझै उबरियै,
मरन काल त्रास निवरियै,
हूजो सदा हमारे पछा,
स्री असिधुज जू करियहु इच्छा,

हिंदी मीनिंग : आप हाथ आगे बढ़ाकर मुझे उबारिए। मुझे मरण, मृत्यु के भय से उबारिए, मुक्त कीजिए। हे नाथ, आप सदा ही मेरी तरफ रहें। मेरे शत्रुओं को नष्ट कीजिये और मेरी इच्छा पूर्ण कीजिए।

राखि लेहु मुहि राखनहारे,
साहिब संत सहाइ पियारे,
दीनबंधु दुशटन के हंता,
तुमहो पुरी चतुरदस कंता,
हिंदी मीनिंग : हे ईश्वर, आप ही राखनहार हो, आप ही मुझे रख लीजिए। आप साधू संत और संतजनों के सहायता करने वाले हैं। आप ही मेरे प्रिय हैं, साहिब संत के प्यारे हैं। हे ईश्वर आप ही दीन बंधु हैं, आप ही चौदह लोको के स्वामी हैं।
काल पाइ ब्रहमा बपु धरा,
काल पाइ शिवजू अवतरा,
काल पाइ करि बिशन प्रकाशा,
सकल काल का कीया तमाशा,
हिंदी मीनिंग : आप ब्रह्म रूप में आओ, आपने नियत समय में शिव का रूप धारण किया, नियत समय पर विष्णु के रूप में प्रकट किया। यह सकल तमाशा/कार्य आपने किया है।
जवन काल जोगी शिव कीयो ॥
बेद राज ब्रहमा जू थीयो ॥
जवन काल सभ लोक सवारा ॥
नमशकार है ताहि हमारा ॥३८४॥

जवन काल सभ जगत बनायो ॥
देव दैत ज्छन उपजायो ॥
आदि अंति एकै अवतारा ॥
सोई गुरू समझियहु हमारा ॥३८५॥

नमशकार तिस ही को हमारी ॥
सकल प्रजा जिन आप सवारी ॥
सिवकन को सवगुन सुख दीयो ॥
श्त्रुन को पल मो बध कीयो ॥३८६॥

घट घट के अंतर की जानत ॥
भले बुरे की पीर पछानत ॥
चीटी ते कुंचर असथूला ॥
सभ पर क्रिपा द्रिशटि करि फूला ॥३८७॥

संतन दुख पाए ते दुखी ॥
सुख पाए साधन के सुखी ॥
एक एक की पीर पछानै ॥
घट घट के पट पट की जानै ॥३८८॥

जब उदकरख करा करतारा ॥
प्रजा धरत तब देह अपारा ॥
जब आकरख करत हो कबहूं ॥
तुम मै मिलत देह धर सभहूं ॥३८९॥

जेते बदन स्रिशटि सभ धारै ॥
आपु आपुनी बूझि उचारै ॥
तुम सभ ही ते रहत निरालम ॥
जानत बेद भेद अरु आलम ॥३९०॥

निरंकार न्रिबिकार न्रिल्मभ ॥
आदि अनील अनादि अस्मभ ॥
ताका मूड़्ह उचारत भेदा ॥
जाको भेव न पावत बेदा ॥३९१॥

ताकौ करि पाहन अनुमानत ॥
महां मूड़्ह कछु भेद न जानत ॥
महांदेव कौ कहत सदा शिव ॥
निरंकार का चीनत नहि भिव ॥३९२॥

आपु आपुनी बुधि है जेती ॥
बरनत भिंन भिंन तुहि तेती ॥
तुमरा लखा न जाइ पसारा ॥
किह बिधि सजा प्रथम संसारा ॥३९३॥

एकै रूप अनूप सरूपा ॥
रंक भयो राव कहीं भूपा ॥
अंडज जेरज सेतज कीनी ॥
उतभुज खानि बहुरि रचि दीनी ॥३९४॥

कहूं फूलि राजा ह्वै बैठा ॥
कहूं सिमटि भयो शंकर इकैठा ॥
सगरी स्रिशटि दिखाइ अच्मभव ॥
आदि जुगादि सरूप सुय्मभव ॥३९५॥

अब ्रछा मेरी तुम करो ॥
सि्खय उबारि असि्खय स्घरो ॥
दुशट जिते उठवत उतपाता ॥
सकल मलेछ करो रण घाता ॥३९६॥

जे असिधुज तव शरनी परे ॥
तिन के दुशट दुखित ह्वै मरे ॥
पुरख जवन पगु परे तिहारे ॥
तिन के तुम संकट सभ टारे ॥३९७॥

जो कलि कौ इक बार धिऐहै ॥
ता के काल निकटि नहि ऐहै ॥
्रछा होइ ताहि सभ काला ॥
दुशट अरिशट टरे ततकाला ॥३९८॥

क्रिपा द्रिशाटि तन जाहि निहरिहो ॥
ताके ताप तनक महि हरिहो ॥
रि्धि सि्धि घर मों सभ होई ॥
दुशट छाह छ्वै सकै न कोई ॥३९९॥

एक बार जिन तुमैं स्मभारा ॥
काल फास ते ताहि उबारा ॥
जिन नर नाम तिहारो कहा ॥
दारिद दुशट दोख ते रहा ॥४००॥

खड़ग केत मैं शरनि तिहारी ॥
आप हाथ दै लेहु उबारी ॥
सरब ठौर मो होहु सहाई ॥
दुशट दोख ते लेहु बचाई ॥४०१॥

क्रिपा करी हम पर जगमाता ॥
ग्रंथ करा पूरन सुभ राता ॥
किलबिख सकल देह को हरता ॥
दुशट दोखियन को छै करता ॥४०२॥

स्री असिधुज जब भए दयाला ॥
पूरन करा ग्रंथ ततकाला ॥
मन बांछत फल पावै सोई ॥
दूख न तिसै बिआपत कोई ॥४०३॥

अड़ि्ल ॥
सुनै गुंग जो याहि सु रसना पावई ॥
सुनै मूड़्ह चित लाइ चतुरता आवई ॥
दूख दरद भौ निकट न तिन नर के रहै ॥
हो जो याकी एक बार चौपई को कहै ॥४०४॥

चौपई ॥
स्मबत स्त्रह सहस भणि्जै ॥
अरध सहस फुनि तीनि कहि्जै ॥
भाद्रव सुदी अशटमी रवि वारा ॥
तीर सतु्द्रव ग्रंथ सुधारा ॥४०५॥